
Vivek Dubey
1965 Delhi
लिठहक़ीक़त का अहसास सी ।
ओ माठतू बड़ी ख़ास ख़ास सी ।
मिलता है सà¥à¤•ूठतेरे आà¤à¤šà¤² में , तेरी हà¤à¤¸à¥€ में सारी कायनात सी ।
Time : 2021-03-23 08:57:12
लिठहक़ीक़त का अहसास सी ।
ओ माठतू बड़ी ख़ास ख़ास सी ।
मिलता है सà¥à¤•ूठतेरे आà¤à¤šà¤² में , तेरी हà¤à¤¸à¥€ में सारी कायनात सी ।
Time : 2021-03-23 08:57:12
चलता रहा कल तक, आज की खातिर ।
बजता रहा साज à¤à¥€ ,आवाज की खातिर ।
उतरती रहीं कà¥à¤› नज़à¥à¤®à¥‡à¤‚, ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬ जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज की ख़ातिर ।
Time : 2021-03-23 08:56:45
हम ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬ देखते रह गठ।
अहसास सहजते रह गठ।
आठवो हिज़ाब में नज़र ,
हम आफ़ताब देखते रह गठ।
Time : 2021-03-23 08:56:17
लिखता है वो बस लिखता है ।
अनà¥à¤à¤µ जीवन के लिखता है ।
नही कà¤à¥€ किताबों में छपता है ।
ना ही मंचों पर वो बिकता है ।
Time : 2021-03-23 08:55:37
तà¥à¤® पूजो जिस पतà¥à¤¥à¤° को पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤°à¥‹ ।
हो जाà¤à¤—ा जड़ à¤à¥€ चेतन छूकर आà¤à¤¾à¤¸ करो ।
मà¥à¤¡à¤¼ जातीं है धाराà¤à¤ à¤à¥€ सरिता की ,
इठलातीं धाराओं को बाहà¥à¤ªà¤¾à¤¶ à¤à¤°à¥‹ ।
Time : 2021-03-23 08:55:09
मंजिलें न तलाश तू , चला चल रासà¥à¤¤à¥‡ पे तू ।
रासà¥à¤¤à¤¾ वहीं तमाम होगा , जहाठमंज़िल का मà¥à¤•़ाम होगा ।
चिंता नही चिंतन कर तू , मातम नही मंथन कर तू ।
न उलठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ के फैर में , अपना ही सृजन कर तू ।
Time : 2021-03-23 08:54:40
मैं राधिका मन पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ बन कृषà¥à¤£ सखा सी दासी
Âरच जाऊठबस जाऊठनैनन में à¤à¥‡à¤¦ रहे न इस मन में उस मन में
Time : 2021-03-23 15:05:12
दिलों में खिंचने को है à¤à¤• दीवार देखो ।
तलà¥à¥™ निगाहों से होता है वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° देखो ।
रह न पाठकोई फ़रà¥à¤• ज़रà¥à¤°à¥‡ ज़रà¥à¤°à¥‡ का कहीं ।
इशà¥à¥˜ हà¥à¤† है हà¥à¤¸à¥à¤¨ का सितमगार देखो ।
विवेक दà¥à¤¬à¥‡"निशà¥à¤šà¤²"@
Time : 2021-03-15 18:57:55
लिठहक़ीक़त का अहसास सी ।
ओ माठतू बड़ी ख़ास ख़ास सी ।
मिलता है सà¥à¤•ूठतेरे आà¤à¤šà¤² में , तेरी हà¤à¤¸à¥€ में सारी कायनात सी ।
Time : 2021-03-23 08:57:12
चलता रहा कल तक, आज की खातिर ।
बजता रहा साज à¤à¥€ ,आवाज की खातिर ।
उतरती रहीं कà¥à¤› नज़à¥à¤®à¥‡à¤‚, ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬ जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज की ख़ातिर ।
Time : 2021-03-23 08:56:45
हम ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬ देखते रह गठ।
अहसास सहजते रह गठ।
आठवो हिज़ाब में नज़र ,
हम आफ़ताब देखते रह गठ।
Time : 2021-03-23 08:56:17
लिखता है वो बस लिखता है ।
अनà¥à¤à¤µ जीवन के लिखता है ।
नही कà¤à¥€ किताबों में छपता है ।
ना ही मंचों पर वो बिकता है ।
Time : 2021-03-23 08:55:37
तà¥à¤® पूजो जिस पतà¥à¤¥à¤° को पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤°à¥‹ ।
हो जाà¤à¤—ा जड़ à¤à¥€ चेतन छूकर आà¤à¤¾à¤¸ करो ।
मà¥à¤¡à¤¼ जातीं है धाराà¤à¤ à¤à¥€ सरिता की ,
इठलातीं धाराओं को बाहà¥à¤ªà¤¾à¤¶ à¤à¤°à¥‹ ।
Time : 2021-03-23 08:55:09
मंजिलें न तलाश तू , चला चल रासà¥à¤¤à¥‡ पे तू ।
रासà¥à¤¤à¤¾ वहीं तमाम होगा , जहाठमंज़िल का मà¥à¤•़ाम होगा ।
चिंता नही चिंतन कर तू , मातम नही मंथन कर तू ।
न उलठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ के फैर में , अपना ही सृजन कर तू ।
Time : 2021-03-23 08:54:40
मैं राधिका मन पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ बन कृषà¥à¤£ सखा सी दासी
Âरच जाऊठबस जाऊठनैनन में à¤à¥‡à¤¦ रहे न इस मन में उस मन में
Time : 2021-03-23 15:05:12
दिलों में खिंचने को है à¤à¤• दीवार देखो ।
तलà¥à¥™ निगाहों से होता है वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° देखो ।
रह न पाठकोई फ़रà¥à¤• ज़रà¥à¤°à¥‡ ज़रà¥à¤°à¥‡ का कहीं ।
इशà¥à¥˜ हà¥à¤† है हà¥à¤¸à¥à¤¨ का सितमगार देखो ।
विवेक दà¥à¤¬à¥‡"निशà¥à¤šà¤²"@
Time : 2021-03-15 18:57:55